‘बिछौना देखकर पैर फैलाना चाहिए’, ऐसा कहा जाता है; परंतु जनसंख्या के संदर्भ में भारत पहले ही दस गुना पैर फैला चुका है । संसार की तुलना में भारत की भूमि 2 प्रतिशत तथा पीने का पानी 4 प्रतिशत है; परंतु जनसंख्या 20 प्रतिशत है । भारत का जल, जंगल, भूमि की समस्या; रोटी, कपडा, मकान की समस्या; गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी आदि अधिकांश समस्याएं तथा प्रमुखता से अपराध की समस्या का मूल कारण जनसंख्या का विस्फोट है । इसलिए कोई भी सरकार कितनी भी मूलभूत सुविधाएं बनाए, तब भी कुछ वर्ष पश्चात वे कम ही पडनेवाली हैं । इस पर कठोर ‘जनसंख्या नियंत्रण कानून’ बनाने से देश की 50 प्रतिशत समस्याएं तुरंत समाप्त हो जाएंगी, ऐसा प्रतिपादन सर्वोच्च न्यायालय की अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने किया । ‘विश्व जनसंख्या दिन’ के निमित्त हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा आयोजित ‘जनसंख्या नियंत्रण की आवश्यकता’ इस विषय पर ऑनलाइन विशेष संवाद इस कार्यक्रम में वे बोल रहे थे । यह कार्यक्रम समिति के जालस्थल Hindujagruti.org, यू-ट्यूब और ट्विटर द्वारा 2,939 लोगों ने प्रत्यक्ष देखा । अधिवक्ता उपाध्याय ने आगे कहा कि, मैंने बनाया हुआ ‘जनसंख्या नियंत्रण कानून 2021’ भाजपा के सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने राज्यसभा में प्रस्तुत किया है । उस पर केंद्र सरकार को तत्काल निर्णय लेना चाहिए । जब तक अधिक संतानवालों को कठोर दंड नहीं दिया जाएगा, तब तक जनसंख्या नियंत्रण में नहीं आएगी ।
इस समय हिन्दुत्वनिष्ठ नेता साध्वी डॉ. प्राची ने कहा कि, बढती जनसंख्या के कारण साधन-सुविधाएं कम पड रही हैं, यह हमने कोरोना काल में अनुभव किया है । यह कानून पहले ही बन जाना चाहिए था । आज घुसपैठियों रोहिंग्याआें को भगाने पर ‘सेक्युलर’ और वामपंथी विचारधारा के लोग छाती पीटना प्रारंभ कर देते हैं; परंतु जिस समय लाखों कश्मीरी हिन्दुआें को स्वयं के देश में विस्थापित होकर तंबू में रहना पडा, तब ये ‘सेक्युलर’ और वामपंथी विचारधारा के लोग कहां चले गए थे ? गत 70 वर्षों में घुसपैठियों को बसाने के कारण ऐसी स्थिति हो गई है मानो देश को ‘कैंसर’ हो गया हो । जनसंख्या नियंत्रण कानून के माध्यम से इस रोग पर शस्त्रक्रिया करनी चाहिए । इसके लिए मा. मोदीजी और मा. अमित शहाजी संपूर्ण देश में यह कानून शीघ्रातिशीघ्र बनाएं, ऐसा आवाहन करती हूं ।
इस समय सनातन संस्था के धर्मप्रचारक श्री. अभय वर्तक ने कहा कि, गत अनेक वर्षों से हिन्दुआें ने ‘हम दो-हमारे दो’ का पालन किया है; परंतु अल्पसंख्यक समाज ने ‘हम पाच-हमारे पच्चीस’ नीति का आश्रय लेने के कारण उनकी संख्या पांच गुना बढ गई है । उसका दुष्परिणाम संपूर्ण देश भुगत रहा है । ‘जनसंख्या नियंत्रण कानून’ बनाने के लिए 225 सांसदों, 1000 से अधिक विधायकों, 5000 ग्रामपंचायतों तथा 2.5 करोड नागरिकों ने समर्थन करते हुए यह कानून बनाने की मांग की है, तब भी अभी तक यह कानून नहीं बना है । यदि कानून बन भी जाए, तब भी भारत में यह कानून न माननेवाला वर्ग बडी संख्या में है, इसलिए सरकार को कठोरता से इसे कार्यान्वित करना चाहिए, ऐसा भी श्री. वर्तक ने कहा ।