Home विविधा ●खरी-खरी…..☆ अशोक वशिष्ठ

●खरी-खरी…..☆ अशोक वशिष्ठ

by zadmin
vashishth

●खरी-खरी
वी आई पी कल्चर नहीं , ख़त्म हुई श्रीमान।

राजाओं-सा चलन है , वही ताम और झाम।।

वही ताम और झाम , बंद रस्ते कर देते।

आम आदमी की बिल्कुल,  परवाह न करते।।

राष्ट्रपति का काफ़िला , जब गुज़रा श्रीमान।

एक महिला ने गंवा दी , तब तक अपनी जान।।


☆ अशोक वशिष्ठ 

You may also like

Leave a Comment