Home विविधाखोज खबर अंतरिक्ष में बंद पड़ी हबल दूरबीन को दोबारा चालू करने में नाकाम रहे नासा के वैज्ञानिक

अंतरिक्ष में बंद पड़ी हबल दूरबीन को दोबारा चालू करने में नाकाम रहे नासा के वैज्ञानिक

by zadmin

वाशिंगटन। अमेरिका की स्‍पेस एजेंसी नासा 22 दिन बाद भी अंतरिक्ष में अचानक से बंद हुई हबल दूरबीन को दोबारा से काम करने लायक बनाने में नाकाम साबित हो रही है। 13 जून को इस टेलीस्‍कोप के पेलोड कंप्‍यूटर में अचानक आई खराबी के बाद से ये दूरबीन काम नहीं कर रही है। इसके कंप्‍यूटर को चालू करने की अब तक जितनी भी कोशिशें की गई हैं सभी नाकाम रही हैं। इसको चालू करने की पहली कोशिश 14 जून को ही की गई थी, लेकिन ये चालू होने के तुरंत बाद फिर से बंद हो गया था। तब से लेकर अब तक लगातार ही वैज्ञानिक इसको सही करने की कोशिश में दिन रात एक किए हुए हैं। सुदूर अंतरिक्ष में स्थित इस दूरबीन के यूं बंद हो जाने की वजह से कई तरह के साइंस ऑब्‍जरवेशन भी बंद हो गए हैं।

नासा के वैज्ञानिक इस बात की पूरी कोशिश करने में जुटे हैं कि किसी तरह से इसके बैकअप हार्डवेयर को ऑन किया जा सके। नासा का कहना है कि बंद होने के बाद भी ये टेलीस्‍कोप पूरी तरह से सही और सुरक्षित है। एजेंसी के मुताबिक इसमें आई दिक्‍कत साइंस इंस्‍ट्रूमेंट कमांड और डाटा हैंडलिंग के बीच की यूनिट में कहीं आई है। ये दिक्‍कत हार्डवेयर की वजह से भी आ सकती है। वैज्ञानिक इसके लिए फोर्मेट कमांड भेजने की भी कोशिश कर रहे हैं। इसके अलावा वैज्ञानिकों का ध्‍यान इसकी पावर सप्‍लाई पर भी है। ये कुछ ऐसे सिस्‍टम है जिनको लेकर वैज्ञानिक लगातार बनी गुत्‍थी को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं। इस सप्‍ताह इससे जुड़ी टीम इसके सिस्‍टम का पूरी तरह से रिव्‍यू भी करेगी। नासा का कहना है कि 2008 में भी उसको इसी तरह की परेशानी आई थी। उस वक्‍त इसका साइंस ऑपरेशन कमांड और और एसडीएफ मॉड्यूल फेल हो गया था। इसके बाद 2009 में इसके पूरी यूनिट को बदल दिया गया था।आपको बता दें कि अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी ने इस टेलीस्‍कोप को 1990 में लॉन्‍च किया था। उस वक्‍त इस पर करीब 36 हजार करोड़ रुपये की लागत आई थी। पिछले माह ही इस टेलीस्‍कोप ने अपना 30वां जन्‍मदिन मनाया था। अंतरिक्ष में रहते हुए ये टेलीस्‍कोप अब तक लाखों ऑब्‍जरवेशन कर चुका है। इससे मिली जानकारी को अब तक विभिन्‍न रिसर्च पेपर्स के माध्‍यम से करीब 9 लाख बार पब्लिश किया जा चुका है। ये भले ही आपको हैरान कर देने वाला आंकड़ा लगे लेकिन ये सच है। इस टेलीस्‍कोप के जरिए वैज्ञानिकों को अरबों किमी दूर मौजूद गैलेक्सियों से पर्दा उठाने में मदद मिली है जिनके बारे में पहले हम जानते तक नहीं थे।

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