हम सब आज के बारे में सोच रहे है। आज की दुनिया के बारे में सोच रहे है। ऐसे समय आज अपनी सुरक्षा को ध्यान में रख कर आगे के समय के बारे में सोचना जरुरी तो है लेकिन उसी के साथ साथ भविष्य से अवगत होना भी महत्वपूर्ण है।
कैसी होगी नई दुनिया। जैसा चल रहा था अगर वैसा ही चलता रहता तो शायद परिस्थिति और भी खराब होती। यह समय आ गया हैं नई दुनिया मे प्रवेश करने का।
1- संपर्क रहित संपर्क
वाक्य थोड़ा कंफ्यूज करता है। लेकिन आने वाली दुनिया मे ऐसे प्रोडूक्टिव कार्य सेवा और प्रोडक्ट को अधिक महत्व दिया जाएगा।
हाथ मिलाने की योजना? फिर से विचार करना। COVID-19 की चपेट में आने के तुरंत बाद, दुनिया के नेताओं के हाथ मिलाने और ‘नमस्ते’ अभिवादन का उपयोग करने के दृश्य अब आम हो गए है। नमस्ते भारत की संस्कृति है, अभिवादन का एक रूप है जिसमें हाथ मिलाने के विपरीत, दूसरे व्यक्ति के साथ संपर्क शामिल नहीं होता है।संपर्क रहित संपर्क से सामाजिक दूरी को प्रोत्साहित किए जाने के साथ, हम देखेंगे कि अधिक से अधिक लोग हाथ मिलाना छोड़ रहे हैं क्योंकि कोविड-19 के बाद की दुनिया में हाथ मिलाने का जोखिम है।
2. वर्चुअल स्कूल और कॉलेज को बढ़ावा
नए नए शॉर्ट टर्म कोर्स की भरमार होगी। वर्षो के कोर्स चन्द घंटो में खत्म होंगे और विषय के कॉन्सेप्ट पर अधिकाधिक जोर दिया जाएगा।
हमारे सीखने के तरीके को बदल जायेगा। स्कूल-कॉलेज बंद होने से ऑनलाइन क्लासेज में काफी दिलचस्पी है। एक छात्र के घर तक शैक्षिक सामग्री पहुंचाने के लिए दुनिया भर के शिक्षक इंटरनेट की शक्ति का उपयोग कर रहे हैं। हर कॉन्सेप्ट के टीचर आपको मिलेंगे।
ज़ूम, टीम, गूगल मीट जैसे ऐप पर रीयल-टाइम ऑनलाइन कक्षाएं आयोजित की जा रही हैं, जिसने यह सुनिश्चित किया है कि भौतिक कक्षा की अनुपस्थिति छात्रों की शिक्षा को नहीं रोकती है। यह महामारी समाप्त होने के बाद छात्रों के स्कूल में सीखने के तरीके में बदलाव का संकेत दे सकता है।
3. बार-बार हाथ धोना तथा साफ सफाई का विशेष ध्यान वाली दुनिया
एक बात COVID-19 महामारी ने हमें सिखाई है कि व्यक्तिगत स्वच्छता के बहुत उच्च मानकों को बनाए रखना है। लोग अब समझ रहे हैं कि साबुन और पानी से हाथ धोने जैसे साधारण काम कैसे उनकी जान बचा सकते हैं।
महामारी शुरू होने से पहले, हम में से कई लोगों ने हाथ धोने का इलाज बहुत ही लापरवाही से किया, लेकिन पिछले कुछ महीनों में यह पूरी तरह से बदल गया है और यह बदलाव कुछ ऐसा है जो आने वाले लंबे समय तक बना रहेगा।
4. पर्यावरण की ओर रुझान
ऑक्सीजन की दुनिया मे ऑक्सिजन की किल्लत।लॉकडाउन के तीन से चार सप्ताह में, दुनिया भर के पर्यावरणविदों ने कुछ अजीब देखा – ओजोन परत अपने आप ठीक हो रही थी। इतना ही नहीं, लॉकडाउन के दौरान दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में हवा की गुणवत्ता में भारी सुधार हुआ है।
यह हमें बताता है कि अगर हम इसे थोड़ा स्थान और समय दें तो प्रकृति जल्दी ठीक हो सकती है। यह इस परिप्रेक्ष्य में रखेगा कि हमने इन सभी वर्षों में प्रकृति की सवारी कैसे की है और लोगों को पर्यावरण के लिए और अधिक करने और हरित पृथ्वी के लाभों का आनंद लेने के लिए प्रोत्साहित किया है।
5. अधिक आभार वाली दुनिया
COVID-19 महामारी के संकट से जो भी बच कर निकाला है, जुसने मौत को करीब से देखा है। वह शिकायत बंद और आभार ज्यादा प्रकट करेगा। वायरस को रोकने के प्रयासों में हर कोई एकजुट है। हमने महसूस किया है कि अगर हम खुद को अच्छी तरह से तैयार नहीं करते हैं, तो हमारे पास अभी जो है उसे हम खो सकते हैं।
यह विचार कि यदि हम सावधान नहीं हैं तो हम इसे खो सकते हैं, इसने हमें वर्तमान के प्रति अधिक प्रशंसनीय और हमारे पास जो कुछ है उसके लिए आभारी बना दिया है।
6- एआई-सक्षम औषधि विकास
हम जितनी तेजी से इलाज के लिए एक प्रभावी, सुरक्षित दवा बना सकते हैं और तैनात कर सकते हैं और किया जाएगा। COVID-19 और भविष्य के वायरस को रोकने के लिए एक वैक्सीन, उतनी ही तेजी से इसे समाहित किया जाएगा। कृत्रिम बुद्धिमत्ता दवा विकास में एक आदर्श भागीदार है क्योंकि यह मानव प्रयासों में तेजी ला सकती है और पूरक हो सकती है। हमारी वर्तमान वास्तविकता दवा विकास में एआई ( आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) को तैनात करने के भविष्य के प्रयासों को सूचित करेगी। जिस तरह से मोबाईल आपके चेहरे को देख कर वर्चुअल चश्मा, मेक अप, आंखे बना देता है वैसे ही आपके ए आय से दवाई का निर्माण होगा।
7-आर्थिक रूप से मजबूत दुनिया
नई दुनिया व्यापार और नए कार्यप्रणाली से भरपूर होगा। नए कार्यपद्धति के लिए नए स्किल, नए, तंत्र प्रणाली से विकसित कुशल लोगो की मांग बढ़ेगी। यह सब अवसर हमारे सामने आने वाले है। बस अपने आपको तैयार करना है।
और भी बदलाव आएंगे-
जबकि हम वर्तमान में लॉकडाउन में हैं, हमें COVID-19 के बाद होने वाले परिवर्तनों के लिए खुद को मानसिक रूप से तैयार करना चाहिए। इससे हमें अनुकूलन करने और मजबूत व्यक्तियों के रूप में उभरने में मदद मिलेगी।
प्रो डॉ दिनेश गुप्ता- आनंदश्री