Home समसमायिकीप्रसंगवश खरी-खरी..●अशोक वशिष्ठ

खरी-खरी..●अशोक वशिष्ठ

by zadmin
vashishth

●खरी-खरी
एक साल में मानव से हैवान हो गये।

भाव शून्य सब हुए और शैतान हो गये।।

एक अदना-से वायरस ने क्या हाल कर दिया।

रिश्ते-नाते सभी यहाँ बेईमान हो गये।।

एक-दूजे पर जान छिड़कते थे जो अब तक।

वे अपने भी आज यहाँ अनजान हो गये।।
●अशोक वशिष्ठ 

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