●खरी-खरी
एक साल में मानव से हैवान हो गये।
भाव शून्य सब हुए और शैतान हो गये।।
एक अदना-से वायरस ने क्या हाल कर दिया।
रिश्ते-नाते सभी यहाँ बेईमान हो गये।।
एक-दूजे पर जान छिड़कते थे जो अब तक।
वे अपने भी आज यहाँ अनजान हो गये।।
●अशोक वशिष्ठ
●खरी-खरी
एक साल में मानव से हैवान हो गये।
भाव शून्य सब हुए और शैतान हो गये।।
एक अदना-से वायरस ने क्या हाल कर दिया।
रिश्ते-नाते सभी यहाँ बेईमान हो गये।।
एक-दूजे पर जान छिड़कते थे जो अब तक।
वे अपने भी आज यहाँ अनजान हो गये।।
●अशोक वशिष्ठ