खरी-खरी
जब-जब मन में ग़म रहे , या हृदय में प्रीत।
देता है मन को सुकूँ , गीत और संगीत ।।
गीत और संगीत , राग अपना जब छोड़े।
मन हो अगर उदास , नयी आशाएँ जोड़े।।
मन में हो अवसाद , भटकता हो मन तब-तब।
मिल जाता आनंद , गीत सुन लीजे जब-जब।।
●अशोक वशिष्ठ
खरी-खरी
जब-जब मन में ग़म रहे , या हृदय में प्रीत।
देता है मन को सुकूँ , गीत और संगीत ।।
गीत और संगीत , राग अपना जब छोड़े।
मन हो अगर उदास , नयी आशाएँ जोड़े।।
मन में हो अवसाद , भटकता हो मन तब-तब।
मिल जाता आनंद , गीत सुन लीजे जब-जब।।
●अशोक वशिष्ठ