Home समसमायिकीप्रसंगवश मोदीजी !! यत्र नारि पूज्यन्ते,रमंते तत्र देवता ….अश्विनी कुमार मिश्र 

मोदीजी !! यत्र नारि पूज्यन्ते,रमंते तत्र देवता ….अश्विनी कुमार मिश्र 

by zadmin

अचानक सुबह सुबह  मेरे सपने में दुर्गा जी  आ गयी वह थोड़ा प्रसन्न और थोड़ा खिन्न दिख रहीं थीं.उनकी एक तरफ नारी स्वरूपा ममता  बनर्जी की जीत और दूसरी ओर नवरात्र उपासक नरेंद्र मोदी की पार्टी की ऊँची छलाँग। …. से वह असमंजस में दिख रही थीं.  अध नींद में मैंने उनसे पूछा ..या देवि सर्वभूतेषु … क्या हुआ ?तो उन्होंने कहा कि .. रूपं देहि,जयं देहि, यशो देहि,दिशो जहि….. का मंत्र सभी भूल गए हैं.मैंने कोलकाता में ममता को आशीर्वाद दे दिया है. क्योंकि यत्र नारि पूज्यन्ते रमंते तत्र देवता— लेकिन इस चुनाव में कुछ लोगों ने एक महिला पर राजनीतिक हमला किया और आहत होकर वह व्हील चेयर  से बैठ कर लोकतंत्र  की देवी की आराधना में उतर पड़ी.और चुनाव परिणाम के अंतिम क्षणों तक ममता को कोई डिगा नहीं सका। वह जीत गयीं,दरअसल वह अपना चुनाव तो नहीं जीतीं पर पूरे बंगाल को मां दुर्गा का आशीर्वाद मिल गया. और तीसरी बार ममता पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बन रही  हैं.आज मैं यह इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि राजनीति भी एक धर्म युद्ध है. अटल जी ने नरेंद्र मोदी को गुजरात दंगों के बाद इसलिए राजधर्म का पालन करने का अनुरोध किया था. जिसका पालन करते हुए नरेंद्र मोदी गुजरात के 15 वर्ष तक मुख्यमंत्री रहने के बाद आज पिछले 6  वर्षों से देश के प्रधानमंत्री बने हुए हैं. . वे दूसरे  दौर में सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास प्राप्त करने का प्रयास कर रहे हैं. कहीं कही यह काम अच्छा चल रहा है इस लिए इस बार के बंगाल के चुनाव में अबकि बार 200 के पार का नारा पश्चिम बंगाल में लगाकर बड़ा टारगेट तय  कर दिया , चुनाव प्रचार में वह जिस तरह से भाषण दिए उस से लगता है कि मोदी जी ,अटलजी,अडवाणी जी,मुरली मनोहर जोशी,सुषमाजी की शालीनता भूल गए, पूरे चुनाव में एक नारी का जिस तरह से उपहास किया गया. वह भारतीय जनमानस में कहीं फिट नहीं बैठता  

प्राचीन युग से ही हमारे समाज में नारी का विशेष स्थान रहा है । हमारे पौराणिक ग्रंथों में नारी को पूजनीय एवं देव तुल्य माना गया है । हमारी धारणा रही है कि देव शक्तियाँ वहीं पर निवास करती हैं जहाँ पर समस्त नारी जाति को प्रतिष्ठा व सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है ।

इन प्राचीन ग्रंथों का उक्त कथन आज भी उतनी ही महत्ता रखता है जितनी कि इसकी महत्ता प्राचीन काल में थी । कोई भी परिवार, समाज अथवा राष्ट्र तब तक सच्चे अर्थों में प्रगति की ओर अग्रसर नहीं हो सकता जब तक वह नारी के प्रति भेदभाव, निरादर अथवा हीन भाव का त्याग नहीं करता है ।इसलिए प्रसिद्द कवि जय शंकर प्रसाद ने लिखा है 

“नारी! तुम केवल श्रद्‌धा हो,

विश्वास रजत नग पगतल में ।

पीयूष स्त्रोत सी बहा करो,

जीवन के सुदंर समतल में.

इस वक्त मुझे वन्देमातरम के कुछ छंद याद आते हैं,जिसमें मां भारती की आराधना में इसकी तुलना मां दुर्गा से तुलना करते हुए दश प्रहर धारिणीम,संहार कारिणीं ,अक्षय वरदान देने वाला कहा गया है. क्या मोदी जी को बंगाल की मिटटी पर खड़े होकर बंकिम चंद का वन्देमातरम की याद नहीं आई कि वह कम से कम दीदी…. ओ……दीदी का जाप कम करते  .शायद इसलिए ममता ने चुनाव के मंच से  सरेआम चंडी पाठ किया और अपने होने का एहसास करा दिया.

राम चरित मानस में भी एक प्रसंग को ध्यान में रखना चाहिए थे. जहां सेतुबंध रामेश्वरम के निर्माण के लिए शक्ति की आराधना करनी पड़ी थी. इन्हीं दैवी शक्तियों ने उन्हें बल दिया था. लेकिन मोदी ने भद्रता का दायरा और शालीनता का की दीवार लांघ गए। और दुर्गा के मुकाबले जय श्री राम की श्रेष्ठता  नहीं सिद्ध कर सके. इसके पलट ममता ने दुर्गा सप्तशती का  चंडी पाठ कर दिया. पश्चिम बंगाल के लोग दुर्गा की पूजा करते हैं. पश्चिम बंगाल का चुनावी संग्राम भी चैत्र नवरात्रि  के समय हो रहे थे. ऐसे समय में दुर्गा सप्तशती का उद्घोष ममता के लिया काम कर गया. वैसे प्रधानमंत्री तो नवरात्र के उपासक हैं. उन्हें इसका  ध्यान रखना चाहिए था.भारतीय जनता पार्टी सिर्फ सत्ता के लिए राजनीति में नहीं आयी है. बल्कि राष्ट्र के स्वाभिमान ,संस्कार संस्कृति के हो रहे चतुर्दिक छरण वाले एक प्रहरी के रूप में काम कर रही है. पूरब से लेकर दक्षिण तक भाजपा ने अपन्ना यह सिद्धांत नहीं बदला ,इसलिए वह हर ओर छाई  है. भारत माता की जय भाजपा का राष्ट्र मन्त्र है. कुर्सी के लिए भारतीय जनता पार्टी ने कभी शालीनता नहीं छोड़ी और कोई कदाचार नहीं अपनाया. लेकिन इस चुनाव में मोदी जी यह भूल गए यत्र नारि पूजयंते रमंते तत्र देवता……  और जीत के देवता ने तृणमूल कांग्रेस जीत की माला पहना दी . मोदी जी तो बंगाल की भूमि पर वन्देमातरम का जयघोष भी भूल गए. संघ की शाखाओं पर गाते  वन्देमातरम के शब्द 

त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी 

कमला कमलदलविहारिणी

वाणी विद्यादायिनी, नमामि त्वाम् नमामि कमलां 

अमलां अतुलां सुजलां सुफलां मातरम् 

                                            वन्दे मातरम् । 

कमल और भी खिलता लेकिन नारी के अपमान पर किसी ने मुहर नहीं भी लगाई लेकिन फिर भी बड़ी ताकत बनकर भाजपा पश्चिम बंगाल के पूर्वी तट पर धमक गयी है. 

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