Home समसमायिकीप्रसंगवश भाजपा का विस्तार ,ममता की हार…..अश्विनी कुमार मिश्र

भाजपा का विस्तार ,ममता की हार…..अश्विनी कुमार मिश्र

by zadmin

भाजपा का विस्तार ,ममता की हार

अश्विनी कुमार मिश्र

सभी की निगाहें आज असम,बंगाल,पुड्डुचेरी ,तमिलनाडु और केरल के चुनाव परिणामों पर लगी थी।स्थिति स्पष्ट होते ही भाजपा विरोधकों का विधवा विलाप शुरू हो गया> ,चारों ओर ऐसी हवा फैलने लगी कि टूटी टांग से ममता दीदी ने मोदी को करारा जवाब दे दिया,जब दीदी की दोनों टांग पड़ेगी तो बीजेपी दिल्ली से भागेगी। यह खयाली पुलाव पकना भी स्वाभाविक है,क्योंकि ममता और मोदी की टक्कर का असर तो देश की राजनीति पर पड़ने की आशंका व्यक्त की जाने लगी है।कहा जा रहा है कि एक टांग से बंगाल पार ,दोनोँ टांग से दिल्ली पार, लेकिन ऐसा करने के लिए दीदी को न जाने कितने पापड़ बेलने पड़ेंगें,क्योंकि 16 महीना पहले महाराष्ट्र में भी सरकार बनाने के लिए किंग मेकर शरद पवार ने खेल किया,जो सफल हो गया ,तो एक अखबार का संपादक उन्हें यूपीए के चेयरमैन बनाने के लिए सोनिया को चुनौती दे डाली।वह बात हवा में कहां गुम होगयी इसकी अब भनक तक नही मिल रही। उसी तरह 2 मई से फूला मोदी विरोध का नया गुब्बारा 5-6 माह में फुस्स हो जाएगा। इसके बड़े कारण हैं पहला बड़ा कारण इस चुनाव में भाजपा ने कुछ खास नहीं गंवाया है। उसने पश्चिम बंगाल में जीत का बड़ा दावा ठोंका जो सफल नहीं हुआ.लेकिन 3 सीट से 70 पार तक पहुंचना ही बड़ा खेला होए गाचे।इस कारण पश्चिम बंगाल के ममता के एकछत्र राज्य की नींद हराम कर देगा। भाजपा जिन मुद्दों को लेकर बंगाल पहुंची थी उसमें बंगाल एक दूसरे कश्मीर में बदले,,हमारे सेवेन सिस्टर राज्य अलग न हो जाएं ,बंगाली हिन्दू एक बार फिर कश्मीरी पण्डितों की तरह शरणार्थी न बन जाय, इसलिये जान की परवाह किये बिना भाजपा ने जनजागरण के लिए धुआंधार प्रचार किया. यही कारण है कि भाजपा बंगाल में एक तगड़े विपक्ष के रूप में उभरा है. क्योंकि उसकी जीत बामपंथियों और कांग्रेस के जनाधार में सेंध लगाकर बंगाल में पैठ बना चुकी है। दूसरी बात 5 राज्यों के चुनाव में भाजपा ने कुछखोया नहीं है।पश्चिम बंगाल में वह 3 से.77 पर पहुंची है असम व पुड्डुचेरी में भाजपा सरकार बना रही है। केरल में उसने 4 सीटें जीतीं और तमिलनाडु में वह 5 सीटें जीत चुकी है। दरअसल येचुनाव सभी गैर हिंदीभाषी प्रदेशों में हो रहा था।जहां असम को छोड़ भाजपा को कुछ भी खोना नही था।इसलिए यह भाजपा की हार नहीं है एक नया विस्तार है।दम खम दिखाने का प्रयास5 ग़ैरहिन्दी भाषी राज्यों बंगाल ,तमिलनाडु,केरल और पुड्डुचेरी में भाजपा ने अपनी धमक दी है।पुड्डुचेरी में तो सरकार बना रही है,जबकि केरल और तमिलनाडु में इसका मत प्रतिशत बढ़ने से क्षेत्रीय क्षत्रपों की नींद हराम हो गयी है।असम में भाजपा की वापसी एक नई राजनीतिक कवायद है,जिसमें सीमांत राज्यों की सुरक्षा का मामला महत्त्वपूर्ण है. जबकि असम में एनडीए की वापसी उसके किये गए अच्छे कार्यों पर मुहर है। पश्चिम बंगाल को नया विपक्ष मिला जो घुसपैठियों,बांग्लादेशियों रोहिंग्याओं और सीमा पार से आर ही विपन्नता पर नजर रखेगी और विकास कार्यों को नई गति दिलाएगी।उधर ममता को मिली सफलता से वह भी सातवें स्थान पर पहुंच जाएं,इसलिए भाजपा की मजबूत उपस्थिति जरूरी थी,जिसमें भाजपा सफल रही है।क्यों पिछड़ी भाजपापश्चिम बंगाल के चुनाव प्रचार में मोदी की रणनीति फेल हो गयी।उसका कारण एक महिला पर किया गया कटाक्ष भी है।प्रचार के दौरान दीदी … दीदी …नाटकीय अंदाज मोदी जी जैसे व्यक्तित्व पर नहीं जमता,अटलजी या सुष्मीजी होती तो इस पर सटीक काम होता। दूसरा कारण रहा घायल ममता के प्रति सहानुभूति की लहर,तीसरा कारण रहा बंगाल में ममता जैसे नेताओं की भाजपा में कमी।वहां का सभी भाजपा नेता दबे सहमे लगे खुलकर नहीं आये टक्कर देने।सबसे बड़ा कारण भद्रलोगों ने मोदी की अभद्रता,,,,,दीदी,,,,,ओ,,,दीदी को ठुकरा दिया।इसके बाद कई स्थानीय कारण भी हैं जहां कुछ सीटें बहुत कम वोटो से भाजपा ने गंवाया हैकेंद्र में मोदी को नहीं घेर पाएगी विपक्षी जीतइस चुनाव के परिणाम की आड़ में मोदी को विपक्ष नहीं घेर पायेगा।इसके कई कारण हैं। मोदी विरोधी खेमा टूटा फूटा है।दूसरा यह कि मोदी के सामने उसके कदकाठी का नेता नहीं है।राहुल गांधी,प्रियंका गांधी,अखिलेश यादव,तेजस्वी यादव,सुरजेवाला,ममता बनर्जी,स्टॅलिन,पिनयारी और अमरिंदर,उद्धव ठाकरे,शरद पवार वगैरह कहीं नहीं टिकते।शरद पवार आयुवान हो चुके हैं। ममता पूरे देश को या पूरे मोदी विरोधकों को मान्य होंगी,इसमें शक है।क्योंकि ममता की वजह से कांग्रेस और कम्युनिस्टों का खाता बंगाल में नहीं खुला।विपक्ष की एकता केवल मोदी विरोध,भाजपा विरोध के सूत्रों पर ज्यादा नहीं चलेगा।सोनिया से ममता की कद काठी बड़ी हो जाये तो यूपीए कैसे बर्दास्त करेगी।इसलिए इस जीत से विरोधी खेमे में विरोधाभास ही उगा।उस पर से जिस नेता ममता के पीछे दांव खेला जाएगा वह व्यक्तिगत रूप से चुनाव हार गईं हैं।इसलिए चुनाव परिणाम के बाद मोदी को चुनौती देने की तैयारी टांय टांय फिस्स हो जाएगी।LikeCommentShare

You may also like

Leave a Comment