●खरी-खरी
त्राहि-त्राहि है हर तरफ , डर का है माहौल।
नही भूलना चाहिए , फिर भी प्रोटोकॉल।।
फिर भी प्रोटोकॉल , न हो ऑक्सीजन चाहे।
बिना ऑक्सीजन के , जो मरता मर जाए।।
राजनीति में आ गया , देखो कैसा मोड़।
भूल रहे है चल रहा , महामारी का दौर ।।
☆ अशोक वशिष्ठ