Home विविधासाहित्य खरी-खरी….. ☆अशोक वशिष्ठ

खरी-खरी….. ☆अशोक वशिष्ठ

by zadmin

घर में झाड़ू मारिए , लीजे बरतन माँज।

साथ किचिन में दीजिए, सुबह, दुपहरी, साँझ।।

सुबह, दुपहरी, साँझ , काम में हाथ बंटाओ।

हल्की-फुल्की बातें , कर के हँसो – हँसाओ।।

रात हुए गिन लो , कितने तारे अम्बर में ।

जैसे भी हो मिलकर , खुश रहिए निज घर में।।
☆अशोक वशिष्ठ

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