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हवा में कोरोना वायरस

by zadmin

वैज्ञानिकों ने यह बताया है कि कोरोना वायरस मुख्य रूप से हवा के माध्यम से प्रसारित हो रहा है और यह वायरस लंबी दूरी तय कर सकता है। तीन देशों के छह वैज्ञानिकों के अध्ययन का निचोड़ यह है कि हवा में ही वायरस का निपटारा करना पडे़गा। चूंकि हम हवा में इस वायरस को फैलने से नहीं रोक पा रहे हैं, इसलिए यह तेजी से फैलता जा रहा है। शोधकर्ताओं में शामिल वैज्ञानिक लुईस जिमेनेज ने कहा है, ‘हवाई संक्रमण का समर्थन करने वाले सुबूत मजबूत हैं और बड़ी बूंदों के जरिए संक्रमण का समर्थन करने वाले सुबूत लगभग नदारद हैं।’ अब तक हम यही मान रहे थे कि यह वायरस ड्रॉप्लेट्स के जरिए ही ज्यादा फैलता है। ड्रॉप्लेट्स या बूंदों में भार होता है, इसलिए इनका हवा में दूर तक जाना नामुमकिन है, जबकि हवा में अगर वायरस विचरित हो रहा है, तो वह दूर तक जा सकता है। लुईस के अनुसार, यह जरूरी है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन और अन्य स्वास्थ्य एजेंसियां संक्रमण के अपने विवरण को वैज्ञानिक सुबूतों के अनुकूल करें, ताकि वायु से फैलते संक्रमण को कम करने पर ध्यान केंद्रित किया जाए। 
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों की टीम ने प्रकाशित शोध की समीक्षा की है और कोरोना के हवाई मार्ग या हवाई संक्रमण की प्रबलता के समर्थन में साक्ष्यों की पहचान की है। एक मामला तो ऐसा है, जिसमें एक ही व्यक्ति से 53 लोग संक्रमित हुए हैं। वैज्ञानिकों का मानना है, निश्चित रूप से हवा के जरिए ही इतने लोगों तक संक्रमण पहुंचा होगा। मात्र किसी सतह या वस्तु को छूने से इतने लोगों को संक्रमण शायद नहीं हो सकता। वैज्ञानिकों का यह भी मानना है, दुनिया में 40 प्रतिशत संक्रमण ऐसे लोगों से फैला है, जो न खांस रहे थे और न जिन्हें जुकाम था। ऐसे मौन संक्रमण ने ही पूरी दुनिया को परेशान कर रखा है। यह संक्रमण मुख्य रूप से वायु के माध्यम से ही हो रहा है। इसमें ड्रॉप्लेट्स की कोई भूमिका नहीं है, क्योंकि ऐसे लोगों को भी कोरोना हुआ है, जो किसी भी संक्रमित के निकट नहीं गए थे। कुल मिलाकर, यह समझ लेना चाहिए कि हवा के जरिए होने वाले संक्रमण के सुबूत मजबूत हैं। अत: यह जरूरी है कि ऐसे संक्रमण को रोका जाए। जिनको खांसी और जुकाम है, उन्हें क्वारंटीन करने से भी ज्यादा जरूरी है, उन लोगों की पहचान करना, जिनमें लक्षण स्पष्ट नहीं हैं। जांच का कोई विकल्प नहीं है। सरकार के पास इतने संसाधन होने ही चाहिए कि वह कहीं भी किसी की जांच कर सके। कोई व्यक्ति अगर जांच कराना चाहे, तो उसे संसाधन के अभाव में कभी लौटाया न जाए। अगर कहीं डरे हुए मरीजों को बिना जांच और इलाज के लौटाया जा रहा है, तो यह कोरोना फैलाने के समान अपराध है। सरकारें मास्क संबंधी नियम कडे़ कर रही हैं, लेकिन देखना होगा कि सरकारी व गैर-सरकारी, सभी लोग मास्क पहनें। जब लोगों की मौत हो रही हो, तब मास्क न पहनने के लिए बहानेबाजी भी किसी अपराध से कम नहीं। जो लोग मास्क पहनना नहीं चाहते, उन्हें घर से निकलने की जरूरत नहीं। ध्यान रहे, अमेरिकी वैज्ञानिकों ने डबल मास्क को ज्यादा बेहतर बताया है। कहीं भी अगर थोड़ी सी भी भीड़ है, तो वहां डबल मास्क पहनना चाहिए। मास्क की गुणवत्ता भी जांचनी चाहिए। ऐसा न हो कि किसी भी तरह का मास्क महज दिखाने के लिए पहन लिया जाए।

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