Home विविधासाहित्य खरी खरी …सुरेश मिश्र

खरी खरी …सुरेश मिश्र

by zadmin

सहमा-सहमा शहर है, दहशत में हैं गांव
अस्पताल सिसकी भरें, नहीं रुक रहे पांव
नहीं रुक रहे पांव,विलखती हैं माताएं
अश्मशान पर लाश, कतारों में दिखलाएं
कह सुरेश है कदम-कदम पर गहमी-गहमा
फटे कलेजा मां का, तो बापू है सहमा ।

सुरेश मिश्र

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