सहमा-सहमा शहर है, दहशत में हैं गांव
अस्पताल सिसकी भरें, नहीं रुक रहे पांव
नहीं रुक रहे पांव,विलखती हैं माताएं
अश्मशान पर लाश, कतारों में दिखलाएं
कह सुरेश है कदम-कदम पर गहमी-गहमा
फटे कलेजा मां का, तो बापू है सहमा ।
सुरेश मिश्र
सहमा-सहमा शहर है, दहशत में हैं गांव
अस्पताल सिसकी भरें, नहीं रुक रहे पांव
नहीं रुक रहे पांव,विलखती हैं माताएं
अश्मशान पर लाश, कतारों में दिखलाएं
कह सुरेश है कदम-कदम पर गहमी-गहमा
फटे कलेजा मां का, तो बापू है सहमा ।
सुरेश मिश्र