खरी-खरी
फिर से लाॅकडाउन लगा, महाराष्ट्र में यार।
कोरोना ने कर दिया , जीना ही दुश्वार।।
जीना ही दुश्वार , किस तरह जान बचायें।
कोरोना मर जाय , कौनसी बूटी खायें।।
सरकारी फरमान , नहीं निकलो तुम घर से।
जीवन पर ख़तरा , मंडराता लगता फिर से।.
☆ अशोक वशिष्ठ