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खरी-खरी•••○☆अशोक वशिष्ठ

by zadmin

खरी-खरी

कोरोना के डर के मारे , खूब धो रहे हाथ।

कोरोना पर नहीं मानता , निभा रहा है साथ।।

निभा रहा है साथ , पड़ा दुनिया के पीछे।

सूने हैं बाजार , कि सूने बाग – बगीचे ।।

लाॅकडाउन के साथ , नित्य बरतें अनुशासन।

धोएँ जमकर हाथ , साफ कर लें अपना मन।।

•••○☆अशोक वशिष्ठ 

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