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खरी-खरी—-अशोक वशिष्ठ

by zadmin

खरी-खरी
राम भला कब होएगा ,  कोरोना का अंत ।

विश्व समस्या बन गया , यह तो बहुत ज्वलंत।।

यह तो बहुत ज्वलंत , दिखाई यह नहीं देता।

छिप कर करता घात , प्राण जल्दी हर लेता ।।

दुनिया थर-थर काँपती,  सुन कोरोना नाम।

अभय दान सब माँगते , भली करो हे! राम।।
अशोक वशिष्ठ

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