Home विविधासाहित्य खरी-खरी—-अशोक वशिष्ठ

खरी-खरी—-अशोक वशिष्ठ

by zadmin

खरी-खरी
लाॅकडाउन फिर से लगा , पब्लिक है हैरान।

बंद सभी बाज़ार हैं   , बंद सभी दूकान ।।

बंद सभी दूकान ,  आदमी सब कुछ हारा।

काम नहीं तो किस विधि, होगा यहाँ गुज़ारा।।

कोरोना ने दुखी , कर दिया है सबका मन।

कैसे मिले निजात , लगा फिर से लाॅकडाउन।।

अशोक वशिष्ठ 

You may also like

Leave a Comment