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खरी-खरी—-अशोक वशिष्ठ

by zadmin

खरी-खरी
फिर से लागू हो रहा , लाॅकडाउन का दौर।

शनी और रविवार को , रहिए अपने ठौर ।।

रहिए अपने ठौर ,  व्यर्थ बाहर मत जाओ।

पाबन्दी जो लगीं , पूर्णत: उन्हें निभाओ।।

कोरोना का साया , अभी न उतरा सिर से।

रहिए घर में बंद , जनाब-ए-आली फिर से।।
अशोक वशिष्ठ 

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