खरी-खरी
करिए प्रभु से प्रार्थना, माँगो यह वरदान।
हे प्रभु! रक्षा कीजिए , जग का हो कल्यान।।
जग का हो कल्यान , पड़ी है विपदा भारी।
मेहर करो भगवान , रहे न कोई दुखारी।।
अपना रखिए ध्यान , सुरक्षित घर में रहिए।
रोग करे विस्तार , काम मत ऐसे करिए।।
अशोक वशिष्ठ
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नये रूप में ई-न्यूज़पेपर निर्भय पथिक देखकर अति प्रसन्नता हुई। इस नये स्वरूप के लिए हृदय से बधाई।
dhanywaad