गंभीर आरोपों से घिरी सरकार का ठीकरा अधिकारियों के सिर
विशेष संवाददाता
मुंबई: एक के बाद एक गंभीर आरोपों से घिरती रही राज्य की महाविकास आघाड़ी सरकार सांसत में पड़ी है। राज्य के गृहमंत्री के ऊपर ही भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगने से देश भर में राज्य सरकार की निंदा हो रही है। डीजी परमबीर सिंह द्वारा मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में गृहमंत्री द्वारा 100 करोड़ रूपये प्रति माह बीयर बारों, होटलों एवं अन्य तरीके से इकठ्ठा करने के लिये एपीआई सचिन वाज़े को टारगेट दिया गया था इस पत्र से यह खुलासा हुआ था। उसके बाद गुप्तचर विभाग की राज्य प्रमुख रही रश्मि शुक्ला के कार्यकाल के दौरान फोन टैपिंग से महाराष्ट्र के पुलिस महकमें में तबादलों के बारे में सनसनीखेज जानकारियां सामने आयी। इसमें यह पता चला कि पुलिस महकमें में मोटी रकम लेकर अधिकारियों को मनचाही जगह पोस्टिंग का जुगाड़ किया गया। इस मामले की जानकारियां विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस दिल्ली में गृह सचिव को देकर इसकी जाँच सीबीआई से कराने की मांग की है। सरकार के एक मंत्री नवाब मलिक ने माना कि सीडीआर में जो नाम शामिल हैं उसके कुछ ही फीसदी ही तबादले हुये हैं। यानी साफ़ हैं कि जिस खुलासे के लिए रश्मि शुक्ला को सरकार से इनाम मिलना चाहिए था उस के बजाय कटघरे में खड़ा किया जा रहा है। राज्य की महाविकास आघाड़ी सरकार के एक घटक एनसीपी के कोटे से गृहमंत्री बने अनिल देशमुख के खिलाफ लगे परमबीर सिंह के पत्र में आरोपों के मामले में न्यायायिक आयोग का गठन करने का निर्णय सरकार द्वारा बुधवार को लिया गया है। सरकार की फ़ज़ीहत इसलिए भी हो रही है क्योंकि शिवसेना के कोटे से वन मंत्री बने संजय राठोड का इस्तीफ़ा, पूजा चव्हाण मामले में ले लिया गया लेकिन भ्रष्टाचार के इतने गंभीर मामले में मुख्यमंत्री भी अनिल देशमुख से गृहमंत्री पद का इस्तीफ़ा नहीं ले सके। दरअसल देशमुख इस्तीफ़ा देने को तैयार ही नहीं है। ऐसे में सत्ता के गलियारे में यह सवाल उठ रहा है कि एनसीपी के अध्यक्ष और मराठा नेता कहे जानेवाले शरद पवार, अनिल देशमुख के सामने लाचार क्यों नज़र आ रहे हैं। देशमुख के खिलाफ गठित जाँच आयोग कब जाँच शुरू करेगा और कब तक जांच पूरा करेगा यह कहा नहीं जा सकता तब तक क्यों नहीं निष्पक्ष जाँच के लिए देशमुख का इस्तीफ़ा ले लिया जाता । राज्य सरकार इस ताज़ा मामले पर तत्परता से कार्यवाई करने के बदले अतीत के फोन टैपिंग मामले के लिये गुप्तचर विभाग की पूर्व आयुक्त को ज़िम्मेदार ठहराते हुए उनके खिलाफ कार्यवाई की आशंका एक रिपोर्ट में जताई है। यह रिपोर्ट महाराष्ट्र के मुख्य सचिव सीताराम कुंटे ने मुख्यमंत्री को गुरुवार को सुपुर्द की है। कुंटे उस समय राज्य के गृह सचिव थे जब फ़ोन टैपिंग की अनुमति लेकर राज्य गुप्तचर महकमें द्वारा संवेदनशील मामलों के आशंका के मद्देनज़र फोन टैपिंग की गयी थी। इस रिपोर्ट में यह उजागर किया गया है कि फ़ोन टैपिंग की अनुमति कुछ संवेदनशील मामलों में दी गयी थी । वैसे जिस तरह रश्मि शुक्ला देश भर में लोकप्रिय नाम बन गया उससे सरकार की फ़ज़ीहत हुई और वह डेमेज कंट्रोल के लिए कुछ तो तर्क देगी यह अपेक्षित था वर्ना जिस मामले का पटाक्षेप होने की बात स्वयं एक मंत्री ने कही थी कि फ़ोन टैपिंग वाले मामले पर रश्मि शुक्ला के खिलाफ कार्यवाई करना ठीक नहीं लगा था उसी गड़े मुर्दे को क्यों उखाड़ा गया। मतलब साफ है सरकार अपनी कमियों को छुपाने के लिए ठीकरा अधिकारियों के सिर पर फोड़ना चाहती है फिर चाहे वह रश्मि शुक्ला हो या परमबीर सिंह। मुख्य सचिव सीताराम कुंटे ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को गुरुवार को जो रिपोर्ट पेश की उसमें यह कहा गया है कि गुप्तचर विभाग की तात्कालीन आयुक्त रश्मि शुक्ला ने सरकार को जानबूझकर भ्रमित किया। गुप्त रिपोर्ट का खुलासा करना यह अत्यंत गंभीर अपराध है यदि यह रिपोर्ट उन्होंने ही लीक किया है यह साफ़ हो गया तो वह कठोर कार्यवाई की पात्र होंगी। इस रिपोर्ट के आधार पर रश्मि शुक्ला के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी राज्य सरकार ने शुरू की है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि आतंकवादी गतिविधियां , दंगे कराने, जैसे गतिविधियों से सार्वजनिक व्यवस्था को कुछ लोग धोखा पहुंचा सकते हैं यह कहकर कुछ निजी टेलीफोन को टैप करने की अनुमति रश्मि शुक्ला ने ली थी इस आधार पर उन्होंने कुछ लोगों का फोन टैप किया उसमें पुलिस अधिकारियों के तबादले की जानकारी थी। रश्मी शुक्ला के फोन टैपिंग रिपोर्ट पर बुधवार को राज्य के मंत्रिमंडल की बैठक में चर्चा हुई थी। उनको फ़ोन टैपिंग की अनुमति देनेवाले तत्कालीन गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सीता राम कुंटे को रिपोर्ट पेश करने आदेश मुख्यमंत्री ने दिया था। इस आधार पर कुंटे ने मुख्यमंत्री ने गुरुवार को रिपोर्ट पेश किया।