Home ठाणे खतरे में भाजपा गुटनेता मनोहर डुंबरे का नगरसेवकी पद! अर्पण फाऊंडेशन का मामला गरमाया 

खतरे में भाजपा गुटनेता मनोहर डुंबरे का नगरसेवकी पद! अर्पण फाऊंडेशन का मामला गरमाया 

by zadmin

ठाणे:
मनपा में भाजपा गुटनेता मनोहर डुंबरे के प्रभाग में अपर्ण फाऊंडेशन को अन्नछत्र चलाने के लिए मनपा का भूखंड मुहैया कराया गया था। इस फाऊंडेशन की अध्यक्ष मनोहर डुंबरे की पत्नी हैं। वहीं इस तरह से लाभ लेने का अधिकार मनपा में किसी भी नगरसेवक को नहीं है। इस तरह से लाभ लेते कोई नगरसेवक पाया गया तो, उसके खिलाफ महाराष्ट्र महानगर पालिका अधिनियम (एमएमसी) की धारा 10 (क) के तहत कार्रवाई हो सकती है। कहा जा रहा है कि शिवसेना डुंबरे पर एमएमसी का सहारा लेकर कार्रवाई करने का मन बना चुकी है। ऐसे में डुंबरे को नगरसेवक पद से हाथ धोना पड़ सकता है। हालांकि दूसरी तरफ इसे लेकर शिवसेना में भी दो मतप्रवाह चल रहे हैं। अब देखना यह रोचक होता है कि शिवसेना डुंबरे पर किस तरह का निर्णय लेती है।  
उल्लेखनीय है कि मनपा में भाजपा गुटनेता पद मिलने के बाद से ही नगरसेवक मनोहर डुंबरे ने शिवसेना पर आरोपों की बौछार शुरू कर दी है। सिंघानिया स्कूल के निकट पादचारी पुल का भूमिपूजन होने के बाद डुंबरे ने आरोप लगाया था कि शिवसेना पादचारी पुलों के कामों को चुनावी फंड जमा करने के लिए करवा रही है। इससे बौखलाए शिवसेना नगरसेवकों ने मनपा में भाजपा गुटनेता कार्यालय में पहुंच डुंबरे का करीब पौने घंटे तक घेराव किया था। हालांकि भाजपा की मांग पर आंदोलकारी शिवसेना नगरसेवकों और पदाधिकारियों के खिलाफ कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए जारी दिशा-निदेर्शों का पालन करने का मामला पुलिस ने दर्ज किया था। इसके बाद शुक्रवार को हुए मनपा की महासभा में महापौर नरेश म्हस्के, सभागृह नेता अशोक वैती, नगरसेवक सिद्धार्थ ओवलेकर, विकास रेपाले, मीनल संंखे राधिका फाटक आदि शिवसेना के नगरसेलकों के साथ ही राकां के नगरसेवक नजीब मुल्ला ने हिरानंदानी इस्टेट स्थित अर्पण फाऊंडेशन को दिए गए अन्नछत्र के मुद्दे को उठाते हुए मनोहर डुंबरे पर जमकर हमला किया। बताया गया कि चार सितंबर 2017 को मनपा की आम सभा में मनोहर डुंबरे के प्रभाग में 600 वर्ग फुट भूखंड को अपर्ण फाऊंडेशन को अन्न छत्र के लिए देने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली थी। भूखंड पर अस्थाई निर्माण कार्य किया जाना था, लेकिन यहां ईंट और सिमेंट से निर्माण किया गया। इतना ही नहीं मनपा ने यहां सुविधाओं के लिए 28 लाख रुपए खर्च किए। हालांकि यहां किसी भी बेघर और जरूरतमंदों में खाद्यान नहीं बांटा गया। भूखंड से सटकर गाला बनाने का प्रयास किया गया। महासभा में मांग हुई कि मामले में एमआरटीपी के तहत एफआईआर दर्ज काराय जाए। यह सभी क्रियाकलाप केवल भूखंड को हड़पने के लिए किया गया है। इसी बीच अपर्ण फाऊंडेशन को दिए गए भूखंड के प्रस्ताव को रद्द कर उसे तत्काल अपने कब्जे  में लिए जाने का प्रस्ताव महासभा में लाया गया। इसी बीच राकांपा ने सवाल उठाया कि अपर्ण फाऊंडेशन संस्था आखिरकार किसका है। हालांकि जब यह जानकारी सामने आई की भूखंड मनोहर डुंबरे की पत्नी के फाऊंडेशन को दिया गया है तो, महासभा की कार्यवाही से इसे हटाने की सूचना वरिष्ठ नगरसेवकों ने दी। इसके बाद भी अन्नछत्र के चलते मनोहर डुंबरे की आगे मुश्किलें बढ़ सकती हैं। दूसरी तरफ मनोहर डुंबरे ने कहा कि यह मुद्दा महासभा में केवल राजनीतिक द्वेष भावना से प्रेरित होकर उठाया गया है। मामले में द्वेषपूर्ण कार्रवाई होती है तो इससे गलत आधार तैयार होगा। इसके साथ ही भविष्य में इसके गंभीर परिणाम भूगतने पड़ सकते हैं। बता दें कि महाराष्ट्र महानगर पालिका अधिनियम की धारा 10 (क) के तहत मनपा के अधिकार से किसी तरह का लाभ, पद अथवा भूखंड को नगरसेवक धारण करता है तो, वह इस पद के लिए अपात्र हो सकता है। फिलहाल इस मामले में अपर्ण फाऊंडेशन के अध्यक्ष पद पर मनोहर डुंबरे की पत्नी भावना डुंबरे विराजमान हैं। ऐसी स्थिति में मनोहर डुंबरे लाभार्थी साबित होते हैं, जिसके चलते इस कानून के तहत उनका नगरसेवक पद छिन सकता है। इसकी पूष्टि खुद मनपा के विधि विभाग के अधिकारियों ने भी की है। हालांकि मामले में शिवसेना के वरिष्ठ नगरसेवकों का कहना है कि राजनीति में व्यञ्चितगत स्तर पर जाकर किसी तरह का निर्णय नहीं लिया जाना चाहिए। दूसरी तरफ युवा नगरसेवकों का कहना है कि भाजपा यदि इस तरह के उल्टे-पुल्टे आरोप लगाते रहती रहेगी तो, उसे इसी तरीके से उधार  देना पड़ेगा।  

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