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खरी-खरी

by zadmin

खरी-खरी
हो गयीं इतनी वार्ता , मगर रही सब फेल।

पटरी पर आयी नहीं , उतर गयी जो रेल।

।उतर गयी जो रेल , किसानों की ज़िद कायम।

वापस लो क़ानून , नहीं मानें इससे कम।

।अड़ियल रुख से कभी भी , बनी न कोई बात।

आंदोलन में छिपी है , शायद कोई घात ।।
अशोक वशिष्ठ  

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