खरी-खरी
एक अखाड़ा बन गया , दीदी का बंगाल।
जो जीता वह सिकंदर , हारा वह कंगाल।।
हारा वह कंगाल , जुड़ रहे नये खिलाड़ी ।
यशवंत सिन्हा और, टिकैत की जुड़ गयी गाड़ी।।
अपनी गिनती , अपना अलग पहाड़ा।
शुरू चुनावी दंगल , जमने लगा अखाड़ा ।।
अशोक वशिष्ठ
खरी-खरी
एक अखाड़ा बन गया , दीदी का बंगाल।
जो जीता वह सिकंदर , हारा वह कंगाल।।
हारा वह कंगाल , जुड़ रहे नये खिलाड़ी ।
यशवंत सिन्हा और, टिकैत की जुड़ गयी गाड़ी।।
अपनी गिनती , अपना अलग पहाड़ा।
शुरू चुनावी दंगल , जमने लगा अखाड़ा ।।
अशोक वशिष्ठ