Home विविधाकला साहित्य सृजन एवं हस्तलेखन लुप्त होती परंपरा

साहित्य सृजन एवं हस्तलेखन लुप्त होती परंपरा

by zadmin


मुंबई:चित्र नगरी संवाद मंच, गोरेगांव पूर्व द्वारा आयोजित विचार गोष्ठी में कई रचनाकारों ने हाथ से लिखने की लुप्त होती परंपरा पर अपनी चिंता जाहिर की है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि गूगल एवं सोशल मीडिया ने लोगों को बोलकर लिखने की सुविधा प्रदान कर दी है। इसके कारण प्राय आजकल सभी रचनाकार अपनी रचनाओं को बोल कर लिख रहे हैं। एवं हाथ से लिखने की परंपरा धीरे धीरे कम होते जा रही है। हमारे दैनिक जीवन में भी पहले हम पत्र हाथ से लिखा करते थे। किंतु व्हाट्सएप एवं अन्य सोशल मीडिया के कारण पत्रों का लिखना एवं घर पर किसी का पत्र आना इतिहास की बात हो गई है। सारे परिवार का कुशल मंगल व्हाट्सएप एवं फोन तक सीमित हो गया है। इसी तरह हाथ से रचना लिखने की बातें भी धीरे-धीरे लुप्त हो रही है।
चर्चा में प्रसिद्ध कथाकार सूरज प्रकाश, सीने गीतकार देवमणि पांडेय, दीनदयाल मुरारका, प्रदीप गुप्ता, सुषमा दास, रविंद्र कात्यायन, राजेश राज, कृष्णा गौतम, रविंद्र यादव, पवन पांडे एवं अन्य मान्यवर विशेष रूप से उपस्थित थे। 
दीनदयाल मुरारका.

You may also like

Leave a Comment