अरब सागर से गंगा सागर तक
62 दिन का चुनावी त्योहार,
विशेष संवाददाता
नई दिल्ली,27फ़रवरी:चुनाव आयोग ने कल पांच राज्यों में चुनावों की तारीखों का ऐलान कर दिया। ये राज्य हैं पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु, असम और पुडुचेरी।चुनाव शेड्यूल के मुताबिक अरब सागर से गंगा सागर तक 62 दिनों का चुनावी त्योहार चलेगा। मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने बताया कि पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा 8 फेज में चुनाव होंगे। असम में 3 फेज में और बाकी तीनों राज्यों में सिंगल फेज में चुनाव होंगे। वोटिंग की शुरुआत पश्चिम बंगाल और असम से होगी। इन दोनों राज्यों में पहले फेज की वोटिंग 27 मार्च को होगी। पांचों राज्यों में वोटों की गिनती 2 मई को होगी।इस चुनाव की दिलचस्प बात यह है कि भाजपा पूर्व से लेकर दक्षिण तक हाथ पाँव मार कर जनाधार बढ़ाने में लगी है.
इस चुनाव की विशेषता यह होगी कि उत्तर भारत की पार्टी कही जाने वाली पार्टी भाजपा पूरब से लेकर दक्षिण तक कमल खिलाने का प्रयास करेगी. असम में भाजपा का शासन है. जबकि बंगाल,तमिलनाडु ,पुड्डुचेरी और केरल में वह पहली बार पूरी ताकत से चुनाव मैंदान में उतर रही है. बंगाल में जहाँ उसका मुकाबला ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस से है वहीँ केरल में कम्युनिस्टों और तमिलनाडु और पुडुचेरी में इसका सामना द्रविड़ पार्टियों से होगा. तमिलनाडु में इस बार के विधान सभा चुनाव पहली बार करूणानिधि और जयललिता की अनुपस्थिति में होने जा रहा है. इस चुनाव की विशेषता यह भी है कि कांग्रेस और कम्युनिस्ट बैंकफुट पर हैं. कांग्रेस बंगाल,असम,केरल और तमिलनाडु में पिछड़ी हुई है.
बंगाल में इस बार सीधा मुकाबला तृणमूल और भाजपा के बीच है।जहाँ अभी तृणमूल कांग्रेस की सरकार है। 2016 के चुनाव में तृणमूल को 211 सीटें मिली थीं। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 42 में से 18 सीटें जीती थीं। इसलिए विधानसभा चुनाव में पार्टी ने पूरा जोर लगा दिया है। यही कारण है कि इस बार का चुनाव तृणमूल बनाम भाजपा हो गया है। यहां कांग्रेस, वामदलों और इंडियन सेकुलर फ्रंट के बीच गठबंधन तय है। फुरफुरा शरीफ की इंडियन सेकुलर फ्रंट को 30 सीटें दी गई हैं।
वहीँ तमिलनाडुमें चुनाव द्रविड़ पार्टियों के नए कर्णधारों पर आश्रित हो गया है. 5 दिसंबर 2016 को जयललिता की मौत के दो साल बाद 2018 में करुणानिधि का भी 94 साल की उम्र में निधन हो गया। करुणानिधि और जयललिता 40 साल तक तमिलनाडु की राजनीति के दो ध्रुव रहे। इस दौरान जयललिता 6 बार और करूणानिधि 5 बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे।
इन आंकड़ों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि तमिलनाडु के चुनाव में इस बार कितना खालीपन रहेगा। जयललिता और करुणानिधि दोनों ही तमिल फिल्म इंडस्ट्री से आए थे। इस बार तमिल सिनेमा से एकमात्र किरदार कमल हासन हैं, लेकिन उनका असर जयललिता या करूणानिधि जैसा नहीं है।